HAPPY BIRTHDAY TO SOMEONE I LOVE SO MUCH. ALWAYS SMILE UPON UR FACE, EVERYTHING U DO WITH STYLE &GRACE. There couldn’t be a better day To take a chance to say, That you are wished a joy and luck- Be happy everyday. VERY HEART TOUCHY SONG FOR U DEAR.....
Do you believe in miracles? I sure do, Because I found you! Happy Birthday.
Happy Birthday, dear husband. May you always fly high in life and touch all your
dreams. With lots of love.
Today is a perfect day to tell you that you are the most amazing person .Happy Birthday to you!
घर पर ही महाशिवरात्रि पूजन की अत्यंत आसान विधि। यह पूजन विधि जितनी आसान है उतनी ही फलदायी भी। भगवान शिव अत्यंत सरल स्वभाव के देवता माने गए हैं अत: उन्हें सरलतम तरीकों से ही प्रसन्न किया जा सकता है।
भगवान शंकर की पूजा के समय शुद्ध आसन पर बैठकर पहले आचमन करें। यज्ञोपवित धारण कर शरीर शुद्ध करें। तत्पश्चात आसन की शुद्धि करें। पूजन-सामग्री को यथास्थान रखकर रक्षादीप प्रज्ज्वलित कर लें।
अब स्वस्ति-पाठ करें।------- स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवा:, स्वस्ति ना पूषा विश्ववेदा:, स्वस्ति न स्तारक्ष्यो अरिष्टनेमि स्वस्ति नो बृहस्पति र्दधातु। इसके बाद पूजन का संकल्प कर भगवान गणेश एवं गौरी-माता पार्वती का स्मरण कर पूजन करना चाहिए। इसके पश्चात हाथ में बिल्वपत्र एवं अक्षत लेकर भगवान शिव का ध्यान करें। भगवान शिव का ध्यान करने के बाद आसन, आचमन, स्नान, दही-स्नान, घी-स्नान, शहद-स्नान व शक्कर-स्नान कराएं। - इसके बाद भगवान का एक साथ पंचामृत स्नान कराएं। फिर सुगंध-स्नान कराएं फिर शुद्ध स्नान कराएं।
अब भगवान शिव को वस्त्र चढ़ाएं। वस्त्र के बाद जनेऊ चढाएं। फिर सुगंध, इत्र, अक्षत, पुष्पमाला, बिल्वपत्र चढाएं। अब भगवान शिव को विविध प्रकार के फल चढ़ाएं। इसके पश्चात धूप-दीप जलाएं।
हाथ धोकर भोलेनाथ को नैवेद्य लगाएं।
इस व्रत की कथा इस प्रकार है- किसी समय वाराणसी के वन में एक भील रहता था। उसका नाम गुरुद्रुह था। वह वन्यप्राणियों का शिकार कर अपने परिवार का भरण-पोषण करता था। एक बार शिवरात्रि के दिन वह शिकार करने वन में गया। उस दिन उसे दिनभर कोई शिकार नहीं मिला और रात भी हो गई। तभी उसे वन में एक झील दिखाई दी। उसने सोचा मैं यहीं पेड़ पर चढ़कर शिकार की राह देखता हूं। कोई न कोई प्राणी यहां पानी पीने आएगा। यह सोचकर वह पानी का पात्र भरकर बिल्ववृक्ष पर चढ़ गया। उस वृक्ष के नीचे शिवलिंग स्थापित था।
थोड़ी देर बाद वहां एक हिरनी आई। गुरुद्रुह ने जैसे ही हिरनी को मारने के लिए धनुष पर तीर चढ़ाया तो बिल्ववृक्ष के पत्ते और जल शिवलिंग पर गिरे। इस प्रकार रात के प्रथम प्रहर में अंजाने में ही उसके द्वारा शिवलिंग की पूजा हो गई। तभी हिरनी ने उसे देख लिया और उससे पुछा कि तुम क्या चाहते हो। वह बोला कि तुम्हें मारकर मैं अपने परिवार का पालन करूंगा। यह सुनकर हिरनी बोली कि मेरे बच्चे मेरी राह देख रहे होंगे। मैं उन्हें अपनी बहन को सौंपकर लौट आऊंगी। हिरनी के ऐसा कहने पर शिकारी ने उसे छोड़ दिया।
थोड़ी देर बाद उस हिरनी की बहन उसे खोजते हुए झील के पास आ गई। शिकारी ेने उसे देखकर पुन: अपने धनुष पर तीर चढ़ाया। इस बार भी रात के दूसरे प्रहर में बिल्ववृक्ष के पत्ते व जल शिवलिंग पर गिरे और शिव की पूजा हो गई। उस हिरनी ने भी अपने बच्चों को सुरक्षित स्थान पर रखकर आने को कहा। शिकारी ने उसे भी जाने दिया। थोड़ी देर बाद वहां एक हिरन अपनी हिरनी को खोज में आया। इस बार भी वही सब हुआ और तीसरे प्रहर में भी शिवलिंग की पूजा हो गई। वह हिरन भी अपने बच्चों को सुरक्षित स्थान पर छोड़कर आने की बात कहकर चला गया। जब वह तीनों हिरनी व हिरन मिले तो प्रतिज्ञाबद्ध होने के कारण तीनोंशिकारी के पास आ गए। सबको एक साथ देखकर शिकारी बड़ा खुश हुआ और उसने फिर से अपने धनुष पर बाण चढ़ाया जिससे चौथे प्रहर में पुन: शिवलिंग की पूजा हो गई।
इस प्रकार गुरुद्रुह दिनभर भूखा-प्यासा रहकर वह रातभर जागता रहा और चारों प्रहर अंजाने में ही उससे शिव की पूजा हो गई और शिवरात्रि का व्रत संपन्न हो गया, जिसके प्रभाव से उसके पाप तत्काल भी भस्म हो गए। पुण्य उदय होते ही उसने सभी हिरनों को मारने का विचार त्याग दिया। तभी शिवलिंग से भगवान शंकर प्रकट हुए और उन्होंने गुरुद्रुह को वरदान दिया कि त्रेतायुग में भगवान राम तुम्हारे घर आएंगे और तुम्हारे साथ मित्रता करेंगे। तुम्हें मोक्ष भी प्राप्त होगा। इस प्रकार अंजाने में किए गए शिवरात्रि व्रत से भगवान शंकर ने शिकारी को मोक्ष प्रदान कर दिया। ऊं नम: शिवाय” एक ऐसा मंत्र हैं जो बेहद सरल होने के साथ-साथ बेहद लाभकारी भी है. शिव मंत्र----- नमामीशमीशान निर्वाण रूपं, विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदः स्वरूपम् ।
न जानामि योगं जपं नैव पूजा, न तोऽहम् सदा सर्वदा शम्भू तुभ्यम् ।
जरा जन्म दुःखौघ तातप्यमानं, प्रभोपाहि आपन्नामामीश शम्भो ॥ रूद्राष्टकं इदं प्रोक्तं विप्रेण हर्षोतये ये पठन्ति नरा भक्तयां तेषां शंभो प्रसीदति।। वेद्य के बाद फल, पान-नारियल, दक्षिणा चढ़ाकर आरती करें। शिवरात्रि की आरती--------
इसके बाद क्षमा-याचना करें। आह्वानं ना जानामि, ना जानामि तवार्चनम, पूजाश्चैव न जानामि क्षम्यतां परमेश्वर:। घर में पूरी श्रद्धा के साथ साधारण पूजन भी किया जाए तो भगवान शिव प्रसन्न हो जाते हैं।